पैतृक गांव में मस्ती : भाग-६

हैलो दोस्तो,
उम्मीद करती हूं कि आप सबों को मेरी सच्ची कहानी अच्छी लग रही होगी तो अपने पैतृक गांव में रहना अच्छा लग रहा था जहां काफी शांति थी लेकिन अपने आदत के कारण दीपा शारीरिक संबंध भी बना ली, अगले सुबह उठकर फ्रेश हुई फिर चाय पी ही रही थी की विनय मेरे पास आकर बैठा और मेरी ओर देखते हुए बोला ” आज दीपा दीदी को खेत खलिहान घुमाने ले जाऊंगा
( वहां पर घर के सारे लोग बैठे थे, मैं जानबूझकर बोली ) अच्छा लेकिन बाबू की देखभाल कौन करेगा
( चाची बोली ) ई कौनों शहर नाहिं की बच्चा के देखभाल खातिर नौकर और नौकरानी की जरूरत पड़े तुम जाओ और आराम से खेत खलिहान घूम आवो ” अभी सुबह के ०८:४५ बजे थे तो मुझे पता था कि विनय किस मकसद से मुझे खेत की ओर ले जाएगा फिर भी मुझे तो मजा लेने को हमेशा जी करता ही था तो मैं पहले जाकर स्नान की फिर साड़ी और पेटीकोट पहन ली तो ब्लाऊज़, ब्रा और पेंटी भी लगाई और अब चाची ने मुझे हल्का नाश्ता दिया तो मैं नाश्ता करके बाबू को दूध पिलाई फिर घर से विनय के साथ निकल गई। दीपा २८ साल की शादीशुदा औरत जिसके ५’६ इंच लंबे कद तो सुरहिनुमा गरदन, बूब्स बड़े बड़े और पतली कमर साथ ही गोल गुंबदाकार गांड़ तो चिकनी जांघों के बीच ब्रेड पकोड़ा की तरह फूली हुई चूत जिसे मैं हमेशा शेव किया करती थी। हम दोनों खेत की ओर चल दिए तो हमलोगों का घर गाउं के आखिरी में था फिर आगे खेत खलिहान तो अब दोनों कच्ची सड़क पर थे और विनय मेरे कलाई को थाम लिया, मैं हाथ झटक दी ” कोई देख लेगा विनय
( वो मेरे चूतड़ पर हाथ फेरते फेरते हुए बोला ) कोई है इधर बाकी रात को तुम्हे कैसा लगा
( मैं चेहरा फेरकर बोली ) अभी भी लहर रही है साला तेरा औजार उतना लम्बा और मोटा तो नहीं लेकिन कड़ा जरूर हैं
( विनय मेरे कमर में हाथ डालकर बोला ) ओह बेबी तब तो तुम्हे आराम करना था, मुझे लगा कि
( मैं उसे देख मुस्कुराई ) तो मैंने मना कब किया डियर वैसे अभी क्या खेत में ही
( विनय ) हां बोरिंग पर जो रूम है वहीं थोड़ी देर फिर तो रात को घर में ही ” तो दीपा उसके साथ कच्ची सड़क पर चल रही थी फिर दोनों खेत की ओर जाने के लिए सड़क से उतरे फिर खेतों के बीच बने आड़ी पर चलने लगे, दूर दूर तक कोई नहीं दिख रहा था तो अब एक सरसों के खेत के पास रुककर विनय मुझे अपनी बाहों में भर लिया तो मैं भी बेझिझक उससे लिपटे उसको चूमने लगी तो अब विनय का हाथ मेरे गोल गुंबदाकार चूतड पर था जिसे वो सहलाने लगा तो मुझे लगा कि यहीं पर विनय मुझे खड़े खड़े चोद देगा, तभी मुझे भी मजा आ रहा था तो मेरी बूब्स उसके छाती से दबी हुई थी और मैं अब उसके चेहरे को चूमते हुए ओंठ पर ओंठ रखकर चुम्बन देने लगी तो दोनों की नजरें ऐसे मिल गई मानो आशिक हों। दीपा खेत के मेढ़ पर खड़े हुए उसके गर्दन में हाथ डाल दी फिर उसके मुंह में ओंठ घुसाए चूस्वाने लगी तो विनय का हाथ मेरे चिकने चूतड पर साड़ी के उपर से ही सहला रहा था, मैं उसके मुंह से ओंठ निकाल ली तो वो अपना जीभ निकाल मेरे ओंठ को चाटने लगा तो अब जिस्म में करेंट प्रवाहित होने लगा और मैं अब कामुकता वश उसके जीभ मुंह में लिए चूसने लगी और दोनों का बदन एक दूसरे से लिपटा हुआ था तो मैं उसके छाती से चूचियों को रगड़े जा रही थी, सुबह ०९:३० बजे का वक्त और वसंत ऋतु फिर तो ऐसे मौसम में सेक्स का आनंद ही अलग है वो भी खेत खलिहान में, विनय मेरे जीभ चूसने में लीन था कि उसकी मोबाईल बजने लगी और वो मेरे जीभ निकाल मुझसे अलग हुआ फिर पॉकेट से मोबाईल निकाला ” हैलो दीपक, मैं थोड़ा ब्यस्त हूं शाम को मार्केट की ओर आऊंगा फिर बातें होंगी ”
मैं विनय से थोड़ी दूरी बनाए खड़ी थी तो नजर उसके लंड के उभार पर पड़ी जोकि पैजामा के उपर से ही दिख रहा था, अब दोनों अपने खेत की ओर जाने लगे तो कुछ परिचित खेत की मेड़ पर मिले और दीपा उनसे मिलकर आगे बढ़ी तो यकीनन भाई और बहन का साथ घूमना फिरना किसी को शक की ओर नहीं ले जा सकता था। जब दोनों एक खेत के पास पहुंचे तो विनय बोला ” ये देखिए ये चाचाजी के हिस्से की जमीन है और इसमें अभी गन्ना लगा हुआ है
( मैं इधर उधर देखी फिर विनय की ओर देखते हुए उसके हाथ पकड़ ली ) अंदर चल ना गन्ना चूसने का जी कर रहा है
( विनय मेरे कमर में हाथ डालकर बोला ) ओह दीपा अभी गन्ना की फसल तैयार तो है नहीं की उसे तुम काटकर चूस सको
( मैं तभी उसके कंधे से चूची सटाई ) बुद्धू अभी फसल तैयार करती हूं ” अब वो जाकर मेरी बात समझ गया फिर दोनों खेत के अंदर घुसे तो गन्ना लंबी लंबी थी और उस बीच में एक जगह पर लगभग ३०-३५ फीट की जगह खाली थी तो घने गन्ने की फसल के बीच दोनों थे और कोई बाहर से हम दोनों को देख भी नहीं सकता था, अब मैं विनय के पैजामा पर से ही लंड पकड़ दबा दी और वो खड़े खड़े उसका नाड़ा खोल दिया, अब उसके कच्छा को उतार लंड रूपी गन्ना का दीदार हुआ तो मैं उसके सामने पैर के बल बैठकर लंड को पकड़ हिलाने लगी और वो मुझे देख मुस्कुराने लगा, मैं शर्मिंदगी महसूस करते हुए चेहरा झुकाई फिर लंड का चमड़ा नीचे कर उसे चूमने लगी तो लंड फिलहाल टाईट नहीं था लेकिन देहाती छोकरे का लौड़ा शहरी बाबू के लंड से कड़ा तो होता ही हैं साथ ही देर तक मुंह, चूत और गांड़ में टिकता है, मैं लंड पर चुम्बन देते हुए उससे नजरें मिला रही थी तो वो इशारे से लौड़ा चूसने को बोला तो मेरी जैसी रण्डी झट से लन्ड मुंह में लिए चूसने लगी, दीपा विनय के कमर पकड़ अपने चेहरा को आगे पीछे करते हुए मुखमैथुन करने लगी तो विनय खड़े खड़े मस्त था…… to be continued.

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